भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सड़ जाएँगी मेरी अनजान कोशिकाएँ
मेरे पैर फट हाएँगेजाएँगे
और मैं मर जाऊँगा ।
आधी रात को दो बजे
हमला करेंगे मेरे ऊपर गंजे और कायर हत्यारे
और अपनी मौत का एहसास किए बिना ही मैं मर जाऊँगा ।
किसी टूटे-फूटे खण्डहर में हज़ारों टन भारी मलबे के नीचेहज़ारों टन भारी कपड़ों के ढेर के पीछे दफ़्न हो जाऊँगा चिकनाई और तेल के भरे नाले में डूबकर मर जाऊँगा ।
क्रूर जानवर मुझे अपने खुरों से रौन्द देंगे
मैं नंगा ही मर जाऊँगा या लाल टाट तिरपाल का कफ़न पहनकरओढ़कर
तेज़ धारदार चाकू रखा होगा जहाँ
जिसे पाकर मुझे कोई चिन्ता नहीं होगी ।
वे क्रूर और कमज़ोर आदमी दंग रह जाएँगे यह देखकर
कि मैं मुझे ज़िन्दा ही निगल गया हूँगए हैंअपनी मेरी क़ब्र से निकले के सफ़ेद केंचुएकीड़े
और मैं मर जाऊँगा।
और फिर
जब सब ख़त्म हो जाएगा आख़िरकारमैं पूरी तरह से मैं मर जाऊँगा ।
'''मूल फ़्रांसीसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,340
edits