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<poem>
मातृ-भू का ऋण चुकाने के लिए।
दम्भ दुश्मन का झुकाने के लिए।
प्राण ले लो; पर विवश करना न तुम-
पाँव अब पीछे हटाने के लिए।।
</poem>
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