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|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
1
ये घोर अँधेरा है
सूरज से चमको
'''व्याकुल मन मेरा है।'''
2
जग खारा सागर है
मरुथल जीवन है
पिय मीठी गागर है।
3
भगवान बसे हिय में
जैसे भगतों के,
'''पिय तू मेरे जिय में।'''
4
जड़वत् ये जग सारा
बादल से बरसी
'''तू अमरित की धारा।'''
</poem>
|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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1
ये घोर अँधेरा है
सूरज से चमको
'''व्याकुल मन मेरा है।'''
2
जग खारा सागर है
मरुथल जीवन है
पिय मीठी गागर है।
3
भगवान बसे हिय में
जैसे भगतों के,
'''पिय तू मेरे जिय में।'''
4
जड़वत् ये जग सारा
बादल से बरसी
'''तू अमरित की धारा।'''
</poem>