भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=जहीर कुरैशी
|अनुवादक=
|संग्रह=भीड़ में सबसे अलग / जहीर कुरैशी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>
हवा विपरीत है हम जानते हैं
 हवाओं का भी दम—खम जानते हैं !  
अगर तुम जानते हो सारी बातें
 तो हम भी तुम से कुछ कम जानते हैं !  
युवा नदियों के बूढ़े सागरों से
 कहाँ होते हैं संगम , जानते हैं !  
मुझे वे क्षण नहीं अब याद, लेकिन
 वे सारे दृश्य अलबम जानते हैं  
धरा पर मौत के सौदागरों को
 बहुत अच्छी तरह 'यम' जानते हैं !  
कहाँ तक जाएँगे ये क्रांतिकारी
 ये हर दल—बल के परचम जानते हैं !  
वे अपने बाद, अपने दुश्मनों का
 
गजल—साहित्य में क्रम जानते हैं !
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,260
edits