Last modified on 21 अप्रैल 2021, at 22:46

हवा विपरीत है हम जानते हैं / जहीर कुरैशी

हवा विपरीत है हम जानते हैं
हवाओं का भी दम—खम जानते हैं !

अगर तुम जानते हो सारी बातें
तो हम भी तुम से कुछ कम जानते हैं !

युवा नदियों के बूढ़े सागरों से
कहाँ होते हैं संगम , जानते हैं !

मुझे वे क्षण नहीं अब याद, लेकिन
वे सारे दृश्य अलबम जानते हैं

धरा पर मौत के सौदागरों को
बहुत अच्छी तरह 'यम' जानते हैं !

कहाँ तक जाएँगे ये क्रांतिकारी
ये हर दल—बल के परचम जानते हैं !

वे अपने बाद, अपने दुश्मनों का
गजल—साहित्य में क्रम जानते हैं !