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Kavita Kosh से
इस दुनिया में राई जैसा
ऊपर-ऊपर पँखुरियाँ हैं नीचे- नीचे शूल बिछे हैं
ऐसे में आगे बढ़ने का पथ माँगूँ तो माँगूँ कैसे ?