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<poem>
बादल मेरे ऊपर मण्डरा रहे थे
जैसे कि सपने जो मैंने बचपन में देखे थे
जैसे कि वे दिन जो मैंने जीए थे ।

बादल मेरे ऊपर मण्डरा रहे थे,
हवा आई और उसने उन्हें बिखरा डाला ।
और मैंने उन्हें फिर नहीं देखा

'''मूल फ़िनिश भाषा से अनुवाद : सईद शेख'''
</poem>
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