भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुम मेरे मंदिर की मूरत
आँखों में बस तेरी सूरत।
नीरव आँगन में जलने दो
दुख की रातें अब ढलने दो।
पाकर तुझको अब क्या पाऊँ
तुझे छोड़ किस दर पर जाऊँ।
साँस -साँस से तेरा अर्चन
रोम -रोम से तेरा वन्दन।
कभी मुझे तुम दर्शन देना
अंतर की पीड़ा हर लेना।
गले लगाकर पीर हरो तुम
मन उपवन में फूल भरो तुम।

</poem>