भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
आँखों में तेरी ज्योति
दीपित हो भोर -सी।
58
मन उत्फुल्ल
बरसें सुख- घन
खिले आँगन
सबकी ये दुआएँ
दुःख न पास आएँ।
 
</poem>