भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेश कुमार
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
नदी होकर नदी में डूबने की
चलो कोशिश करें कुछ ढूँढने की

मैं साबित हूँ अभी भी आइनों में
सदा आई ये किसके टूटने की

मुझे देखा तो पत्थर हो गया वो
मनाही थी पलट कर देखने की

हवा हो या ज़मीं या आसमाँ हो
तुझे कुछ ज़िद है सबसे जूझने की

कहाँ से लाऐंगी तुझको ये आँखें
तमन्ना जब भी होगी देखने की

तू गुज़रा वक़्त है, फिर भी बता जा
मैं कब तक राह देखूँ लौटने की
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits