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अश्रांत श्रम
प्रेमिल हथेली का
 
प्रार्थनाओं से
 
करे नव-निर्माण
 
मेरे जिलाए प्राण।
 
2
 
बड़भागिनी
 
पाए प्रिय- दर्शन
 
मणिकांचन
 
मिला प्रेम पावन
 
मन्दाकिनी- सा मन।
 
3
 
मधुर वाणी
 
मुझे दे नव आस
 
बोलें प्रिय जो
 
अहा! बिखरे हास
 
अतुलित प्रभास।
 
4
 
आँख खुलते
 
करूँ मैं अगुआई
 
पलक- द्वार
 
प्रिय की याद आई
 
पा दर्शन हर्षाई।
 
5
 
प्रिय शशि- से
 
आकर बरसाई
 
अपरिमित
 
आशीष की जुन्हाई
 
अमा झाँकी, लजाई।
 
6
 
सर्वसुख की
 
तुमने दे दी बलि
 
अपरिमित
 
प्राणों में इत्र घोले
 
प्रणय- पुष्पांजलि।
 
7
 
प्रिय तुम्हारी
 
मंगलकामनाएँ!!
 
पुनर्जीवन
 
मेरे प्राण पा जाएँ
 
मोल कैसे चुकाएँ।
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