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|अनुवादक=उदयन वाजपेयी
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<poem>
अब हर ओर
प्रकाश
तुम जब चाहो
प्रकाश है
लेकिन भय गया नहीं

नहीं,
भय नहीं गया
और हम अनगनित
चीजों के बीच,
हड़बड़ाये से
मूल बात भूल चुके हैं कि

हम
भय को
ख़त्म करना चाहते थे

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदयन वाजपेयी'''
</poem>
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