भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
कि ऐसी निस्पृह दरिद्रता मौजूद है वहाँ,
कि ऐसी मूढ़ अज्ञानता वहाँ जनती है बच्चे
हताशा के की इन अकिंचन शरणस्थलियों के परदे में —
कि स्वयं तुम्हें ही न तो कोई परवाह रहती है
न ही रहता है पौरुष ललकार कर कहने का
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,612
edits