भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामकुमार कृषक |अनुवादक= |संग्रह=स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामकुमार कृषक
|अनुवादक=
|संग्रह=सुर्ख़ियों के स्याह चेहरे / रामकुमार कृषक
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
कार - कोठियाँ, बँगले - शँगले
अपने नाम लिखें
जैसे भी हो
बड़ों सरीखे हम भी बड़े दिखें !

सही - साँझ
बोतलें - मुर्ग़ियाँ
करते हुए ज़िबह
अँगरेज़ी - अख़बार जीभ से
चाटें सुबह - सुबह,

संग चुस्किया कॉफ़ी - शाफ़ी
कुछ नमकीन चखें !

चन्दा - सूरज
धरती घूमें
बैठे स्वयं रहें
करें उल्टियाँ अन्धेरों की
लोग प्रकाश कहें,

बैंक भरें लॉकर - शाकर से
ऊँचा माथ रखें !

4 जून 1975
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits