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{{KKRachna
|रचनाकार= हैरॉल्ड पिंटर
|अनुवादक=अरुण कमल
|संग्रह=
}}
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<poem>
वो आवाज़ कैसी थी ?
मैं मुड़ता हूँ, उस कमरे की ओर जो हिल रहा है ।
वो आवाज़ कैसी थी जो अन्धेरे से आई ?
कैसा है यह प्रकाश का भूलभुलैया जिसमें वह छोड़ती है हमें ?
यह कैसी मुद्रा है
हटने और फिर लौटने की ?
यह क्या सुना हमने ?
यह वही साँस थी, जो हमने ली थी, जब हम पहली बार मिले थे ।
सुन । यह यहीं है ।
</poem>
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|रचनाकार= हैरॉल्ड पिंटर
|अनुवादक=अरुण कमल
|संग्रह=
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वो आवाज़ कैसी थी ?
मैं मुड़ता हूँ, उस कमरे की ओर जो हिल रहा है ।
वो आवाज़ कैसी थी जो अन्धेरे से आई ?
कैसा है यह प्रकाश का भूलभुलैया जिसमें वह छोड़ती है हमें ?
यह कैसी मुद्रा है
हटने और फिर लौटने की ?
यह क्या सुना हमने ?
यह वही साँस थी, जो हमने ली थी, जब हम पहली बार मिले थे ।
सुन । यह यहीं है ।
</poem>