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|रचनाकार=मनजीत टिवाणा
|अनुवादक=अनिल जनविजय
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<poem>
मैं रोज़ एक पंछी बन जाती हूँ
अपने वजूद के अन्दरूनी हिस्सों में उड़ने के लिए ।



'''पंजाबी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''

'''लीजिए, अब इसी कविता का अँग्रेज़ी में अनुवाद पढ़िए'''
Manjit Tiwana
One story

Daily I turn into a bird
To fly over the inward stretches of my being.

Wildnerness greets the eyes in every direction,
Save a withered tree standing stubbornly,
In the wasteland.
Climbing up the top of the tree
I find nothing but sadness all around.
Its shadows I see daily
In the eyes of those who keep awake at night.
</poem>
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