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आपके जलवों ने लूटा है मुझे
मीठी मुस्कानों ने लूटा है मुझे
मोतियों से झोलियां भर जायेंगी
रेशमी वादों ने लूटा है मुझे
 
मुल्क की तस्वीर जाएगी बदल
ऐसी उम्मीदों ने लूटा है मुझे
 
कोई अर्जुन ही समझ सकता इसे
किस तरह भीलों ने लूटा है मुझे
 
चार दाने भी नहीं घर में बचे
घर के रखवालों ने लूटा मुझे
 
ज़िंदगी में ख़ास बनकर जो रहे
ऐसे ऐयारों ने लूटा है मुझे
 
जो मुझे दिखला रहे थे सब्ज़बाग़
उन हसीं ख़्वाबों ने लूटा है मुझे
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