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{{KKRachna
|रचनाकार=नाज़िम हिक़मत
|अनुवादक=शुचि मिश्रा
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जैसे नमक के साथ रोटी खाना
ठीक ऐसा ही है तुम्हें प्रेम करना
ज्वर में जागना
और चेहरे पर मारना पानी की धार
ऐसा पार्सल
जिसपर नाम हो न पता
चौकन्ना होकर खोलना उत्सुकता से
जैसे
समुद्र पर उड़ना
पहली बार
अपने शहर
इस्तामबुल पर साँझ गहराना
शनैः शनैः
तुम्हें प्रेम करना;
ऐसा कहना कि
ज़िन्दा हूँ मैं !
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा'''
</poem>
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|रचनाकार=नाज़िम हिक़मत
|अनुवादक=शुचि मिश्रा
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जैसे नमक के साथ रोटी खाना
ठीक ऐसा ही है तुम्हें प्रेम करना
ज्वर में जागना
और चेहरे पर मारना पानी की धार
ऐसा पार्सल
जिसपर नाम हो न पता
चौकन्ना होकर खोलना उत्सुकता से
जैसे
समुद्र पर उड़ना
पहली बार
अपने शहर
इस्तामबुल पर साँझ गहराना
शनैः शनैः
तुम्हें प्रेम करना;
ऐसा कहना कि
ज़िन्दा हूँ मैं !
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा'''
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