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अनुभूति / सुषमा गुप्ता

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मैं तुम्हें देखते हुए
यह कहना चाहती थी
कि तुम दुनिया के
सबसे सुंदर पुरुष हो
 
पर मैंने तुम्हारी आँखों में देखा
और जाना
कि दरअसल
मेरी आँखों ने
तुम्हारी बाहरी सुंदरता को
कभी देखा ही नहीं है।
-0-
</poem>