भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमल जीत चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमल जीत चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
किताबें
बन्द होती जा रही हैं
बिना खिड़कियाँ - रोशनदान
वाले कमरों में

डायरियाँ
खुली हुई फड़फड़ा रही हैं
बीच चौराहों में

क़लम
बची है सिर्फ़
हस्ताक्षर के लिए ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits