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|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक=मोहन थपलियाल
|संग्रह=इकहत्तर कविताएँ और तीस छोटी कहानियाँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
}}
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<poem>
मैं खूब जानता था
कि शहर
बनाए जा रहे हैं

मैं नहीं गया
उन्हें देखने
इसका सांख्यिकी वालों से ताल्लुक है
मैंने सोचा
न कि इतिहास से

क्या होगा
शहरों के बनाने से,
यदि उन्हें बगैर
लोगों की बुद्धिमानी के बनाया?

(1953)

'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल'''
</poem>
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