भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त |अनुवादक=मोहन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक=मोहन थपलियाल
|संग्रह=इकहत्तर कविताएँ और तीस छोटी कहानियाँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
और जब वह नहीं रही, उन्होंने उसे
मिट्टी में गाड़ दिया
फूल खिलते रहे, तितलियाँ उसके ऊपर
बाजीगरी दिखाती रहीं...
वह इतनी हलकी कि मुश्किल से
मिट्टी धँसी होगी उसके बोझ से
कितनी मुश्किल हुई होगी,
उसे इतना अधिक हलका बनाने में ।
(1920-25)
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल'''
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक=मोहन थपलियाल
|संग्रह=इकहत्तर कविताएँ और तीस छोटी कहानियाँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
और जब वह नहीं रही, उन्होंने उसे
मिट्टी में गाड़ दिया
फूल खिलते रहे, तितलियाँ उसके ऊपर
बाजीगरी दिखाती रहीं...
वह इतनी हलकी कि मुश्किल से
मिट्टी धँसी होगी उसके बोझ से
कितनी मुश्किल हुई होगी,
उसे इतना अधिक हलका बनाने में ।
(1920-25)
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल'''
</poem>