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Kavita Kosh से
एक मुद्द्त बाद तो
यह लाजवन्ती
द्वार आई है,
प्यार में डूबे हुए
कुछ गुनगुने सम्वाद
अपने साथ लाई है।
क्या कहेगा कल ज़माना
क्या कभी भी एक क्षण
अपनी ख़ुशी से
भोग पाते हैं,
रोटियों के
व्याकरण में ही