भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमीता परशुराम मीता |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अमीता परशुराम मीता
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
वक़्त से लम्हा-लम्हा खेली है
ज़िंदगी इक अजब पहेली है
उसकी यादें भी बेवफ़ा निकलीं
सिर्फ़ तन्हाई अब सहेली है
आज मौसम भी कुछ उदास मिला
आज तन्हाई भी अकेली है
उसकी यादों ने फिर से दस्तक दी
ख़ूब मौसम ने चाल खेली है
जीने मरने के दरमियाँ ‘मीता’
रूह ने जैसे क़ैद झेली है
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अमीता परशुराम मीता
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
वक़्त से लम्हा-लम्हा खेली है
ज़िंदगी इक अजब पहेली है
उसकी यादें भी बेवफ़ा निकलीं
सिर्फ़ तन्हाई अब सहेली है
आज मौसम भी कुछ उदास मिला
आज तन्हाई भी अकेली है
उसकी यादों ने फिर से दस्तक दी
ख़ूब मौसम ने चाल खेली है
जीने मरने के दरमियाँ ‘मीता’
रूह ने जैसे क़ैद झेली है
</poem>