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Kavita Kosh से
सदियाँ लग जाती हैं बिगड़ी बात बनाने में।
उनसे नज़रें टकराईं तो जो नुकसान नुक़्सान हुआ,
आँसू भरता रहता हूँ उसके हरजाने में।