भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
शिकारी पंख भी कतरे तो पंछी टूट जाता है।
दवा की और सेवा की जरूरत ज़रूरत है इसे लेकिन,
दुआ करता न हो कोई तो रोगी टूट जाता है।