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{{KKCatGhazal}}
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टुकड़ों -टुकड़ों में ही फट कर जाना पड़ता है।अपनी माटी मिट्टी से जब कट कर जाना पड़ता है।
परदेशों में नौकर बन जाने की ख़ातिर भी,
गलती से भी इंटरव्यू में सच न कहूँ, इससे,
जीवन भर पीछा करती चुपचाप कज़ा लेकिन,