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मुर्दे जाग रहे हैं कब्रों क़ब्रों और मसानों में।
कैसे भूख मिटेगी हलचल है शैतानों में।
धीरे -धीरे समझ गए आखिर आख़िर सारे मुर्गे, दोनों में है जहर ज़हर हरे केसरिया दानों में।
सब चिड़ियों ने मिलजुल कर कुछ ऐसा जाल बुना,
आखेटक आकर फँसते अब रोज रोज़ मचानों में।
घूम रहे आतंकी महानगर की सड़कों पर,
खोज रहा कानून झुग्गियों वनों में और मकानों में।
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