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<poem>
रहें कैद क़ैद दोनों ही जब तक रहे दम।खड़ा लेके ले के चाबी भले ही रहे गम।ग़म।
तू क्या जाने तेरे बदन का ये रेशम।
मेरी आँख की हर चुभन का है मरहम।
न हों तेरी पहली मुहब्बत, नहीं गम।ग़म।
हों पर आख़िरी प्यार केवल हमीं हम।