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{{KKRachna
|रचनाकार=नेहा नरुका
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
जो तुमसे आगे भाग रहा है
उसे भागने दो !
बस, देखते रहो
आखिर कहाँ तक भागेगा वह ?
चुपचाप देखते रहो, बस,
आखिर कहाँ तक भागेगा वह ?
तुम देखोगे,
भागते-भागते वह थक गया है
तुम देखोगे
वह रुककर कुछ देर सुस्ताना चाहता है
तुम देखोगे
एक गहरी नींद उसे जकड़ चुकी है ।
अगर तुम कछुआ हो
तो ऐन इसी वक़्त उससे आगे
निकलने के बारे में सोच सकते हो
पर अगर तुम एक ज़ख़्मी औरत हो
तो ऐन इसी वक़्त
उसकी नींद पर गोली दाग सकती हो !
</poem>
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जो तुमसे आगे भाग रहा है
उसे भागने दो !
बस, देखते रहो
आखिर कहाँ तक भागेगा वह ?
चुपचाप देखते रहो, बस,
आखिर कहाँ तक भागेगा वह ?
तुम देखोगे,
भागते-भागते वह थक गया है
तुम देखोगे
वह रुककर कुछ देर सुस्ताना चाहता है
तुम देखोगे
एक गहरी नींद उसे जकड़ चुकी है ।
अगर तुम कछुआ हो
तो ऐन इसी वक़्त उससे आगे
निकलने के बारे में सोच सकते हो
पर अगर तुम एक ज़ख़्मी औरत हो
तो ऐन इसी वक़्त
उसकी नींद पर गोली दाग सकती हो !
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