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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= राम प्रसाद शर्मा "महर्षि" |संग्रह= नागफनियों ने ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
|संग्रह= नागफनियों ने सजाईं महफ़िलें / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
जाम हम बढ़के उठा लेते, उठाने की तरह
क्यों न पीते जो पिलाते वो पिलाने की तरह
तुम ठहरने को जो कहते, तो ठहर जाते हम
हम तो जाने को उठे ही थे, न जाने की तरह
कोई आँचल भी तो हो उनको सुखाने के लिए
अश्क तब कोई बहाए भी, बहाने की तरह
टीस कहती है वहीं उठके तड़पती-सी ग़ज़ल
दिल को जब कोई दुखाता है, दुखाने की तरह
गर्मजोशी की तपिश भी तो कुछ उसमें होती
हाथ ‘महरिष’, जो मिलाते वो मिलाने की तरह
</poem>
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|रचनाकार= राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
|संग्रह= नागफनियों ने सजाईं महफ़िलें / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
जाम हम बढ़के उठा लेते, उठाने की तरह
क्यों न पीते जो पिलाते वो पिलाने की तरह
तुम ठहरने को जो कहते, तो ठहर जाते हम
हम तो जाने को उठे ही थे, न जाने की तरह
कोई आँचल भी तो हो उनको सुखाने के लिए
अश्क तब कोई बहाए भी, बहाने की तरह
टीस कहती है वहीं उठके तड़पती-सी ग़ज़ल
दिल को जब कोई दुखाता है, दुखाने की तरह
गर्मजोशी की तपिश भी तो कुछ उसमें होती
हाथ ‘महरिष’, जो मिलाते वो मिलाने की तरह
</poem>