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Kavita Kosh से
हमारे पिता, जो बसे हैं हमारी धरती में,
जो पानी में हैं और हवा में भी हैं
हमारी पृथ्वी के विशाल और मौन विस्तार में समाए हुए हैं जो।
पिता !
हमारे देश में सब कुछ तुम्हारे ही नाम पर है ।
तुम्हारी विरासत ही
आज हमारी रोज़ी- रोटी है, पिता !
बोलिवर से मेरी मुलाक़ात एक सुबह कुछ देर से हुई थी,
मैड्रिड में, पाँचवीं रेजिमेंट के प्रवेश द्वार पर ।
thy heritage was rivers, plains, bell towers,
thy heritage is this day our daily bread, father
I met Bolivar one long morning,
in Madrid, at the entrance to the Fifth Regiment.