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Kavita Kosh से
तुम्हारी आँखों से झरता है वसन्त
दोस्तो, मैं तो, बस,इतना ही चाहता हूँ
कहने को कुछ भी तो नहीं है ये
लेकिन यही तो सब कुछ है असल में