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उद्धरण चिन्हों के भीतर छिपे वाक्यांश।
मेरे मस्तिष्क मेंसताता उठता रहता है एक सवाल -
क्या ये चेहरे किसी दिन
स्वयं ही मुखौटे से बाहर आएंगे, या
०००
[["... अनुहारहरू" / सानु शर्मा|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको मूल नेपाली पढ्न सकिनेछ]]
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