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शहरे दिल हो के क़रिया-ए-जाँ<ref> आत्मा का गाँव</ref> हो
दर्द तेरा कहीं तो मेहमाँ हो
हम फ़क़ीरों को सब बराबर है
क़सरे शाही<ref> राजमहल</ref> हो या बियाबाँ हो
चन्द ज़ख़्मों का क़र्ज़ क्या रक्खूँ
वार अबके हयात पैमाँ<ref>जीवन यापन</ref> हो
अश्क मेरे गुहर भी हो जायें
अब ख़ुदा ही तिरा निगहबाँ हो
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