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हसरत-ए-दीद दिल की, रही दिल में ही
रुख से अपनी ज़ुल्फ़ों को तू ने हटाया सवारा नहीं
बू-ए-गुल की तरह है मिरी ज़िन्दगी
आज है कौन दुनिया में ऐसा 'रक़ीब'
गर्दिशे वक़्त ने जिसको मारा नहीं
 
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