भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
 
देखकर बस इक नज़र उसको दिवाना कर दिया
"मार डाला मरने वाले को के अच्छा आँखों ही आँखों से दिल अपना हमारा कर दिया मुद्दतों भटका किये जो इस गली से उस गलीबे-ठिकानों का यहां तू ने ठिकाना कर दिया"
डूबने वाले को तिनके का सहारा है बहुत
शुक्रिया, तूफ़ान का, उसने किनारा डूबती कश्ती को तिनके ने सहारा कर दिया
जब भी जाना उसके घर तो कहना मेरा भी सलाम
और ये कहना के जो उसने कहा था, कर दिया
उम्र भर सब पर कुछ न कुछ बाक़ी रहेगा क़र्ज़ माँ के दूध काकोई कह सकता नहीं ये क़र्ज़ न पाया कोई चुकता क़र्ज़ सारा कर दिया
नाख़ुदा ने छोड़ दी कश्ती मिरी मझधार मेंशुक्रिया, तूफ़ान ने आकर किनारा कर दिया मुद्दतों खेला, मिरे दिल से खिलौने की तरहतू ही रख ले अब इसे तूने पुराना कर दिया कुछ हुआ करता था तेरा मेरा और कुछ मेरा तेरा 'रक़ीब'
दो मुलाक़ातों ने देखो सब हमारा कर दिया
 
</poem>
480
edits