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Kavita Kosh से
तुम लाजवाब थे और लाजवाब हो
ये किसने कह दिया तुम्हें तुम ख़राब हो
पहले भी थे मगर अब लाजवाब हो
किसने ये कह दिया तुमसे ख़राब हो
कलियों सा ढंग है, फूलों सा रंग है
पढ़ता रहा तुम्हें, पढ़ता रहूँगा मैं
दुनिया में लोग जो, दुश्मन हों प्यार के
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