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22 मार्च
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जो है सबको पता वो छुपाने चलेसत्ता के लोभ ने उसे पागल बना दियाआग खुद ही लगाकर बुझाने चलेनज़रों से फिर अवाम ने उसको गिरा दिया
ये नहीं देखते औकात क्या उस तरफ़ बाज़ हैंसूट की धोती के सामनेइस तरफ़ से कबूतर उड़ाने चले गांधी को फ़कीरी ने फ़रिश्ता बना दिया
ये हमारी कमी ही कही जायगीडंका हमारे मुल्क का बजता था विश्व मेंअंधों को आइना जो दिखाने चलेकमज़र्फ़ हुकूमत ने क्या से क्या बना दिया
ऐसे हमदर्द भी हमने देखे बहुतचोट दे कर मौका जो मरहम लगाने चलेमिला तुझको कहाँ मिलता वो सबकोअफ़सोस मगर तूने व्यर्थ ही गवाँ दिया
खोट क्या उनके दिल मंदिर में समझ जाइएगया था सुकूं तलाशने मगरहमसे चलनी से पानी भराने चलेउसने तो इबादत को भी धंधा बना दिया
मूँदकर आँख विश्वास करते हैं जोक्या अंधभक्ति का उसे ईनाम यूँ मिलाउनको धोखे से माहुर खिलाने चलेअच्छे भले इंसान को चमचा बना दिया
कद्र करता नहीं लगता है वो गर आपकीसाथ क्यों आप उसका निभाने चलेअब मुझे पहचानते नहींमेरी वफ़ा का आपने अच्छा सिला दिया
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