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|रचनाकार=नाज़िम हिक़मत
|अनुवादक=मनोज पटेल
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<poem>
मेरा वक़्त आ पहुँचा है
जब मैं अचानक छलाँग लगा दूँगा शून्य में ।
कभी नहीं एहसास होगा मुझे अपने सड़ते हुए शरीर का
या अपनी आँखों के कोटर में रेंगते हुए कीड़ों का ।
मैं लगातार सोचता रहता हूँ मौत के बारे में
इसका मतलब है कि मेरा वक़्त नज़दीक है ।