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<poem>
आपने जो मुझे ख़त लिखे देख लूँ
बारहा रोज़ोमैंने भी रोज़-ओ-शब जो पढ़े देख लूँ
फिर से बन-ठन के महफ़िल में सज धज के आओ ज़राआज जलवे जल्वे मैं फिर आपके देख लूँ
ज़ख़्म दिल के बहुत तो कुछ वक़्त ने भर दिएऔर कितने बाक़ी हैं अब अध भरे अभी रह गये देख लूँ
पेड़-पौदे लगाए थे बचपन में जोआज गुलशन में है तमन्ना कि उनको हरे देख लूँ
फ़ितरतन बाँट दीं सबको दी है खुशी उम्र भरख़ुशियाँ मगरज़िंदगी में बहुत रंजो-ग़म सहे जो मिले हैं मुझे देख लूँ
यादे याद-ए-माज़ी से का महफ़िल सजी में है अभीतज़्किराउम्र भर के सभी मरहले पेश आए थे जो हादसे देख लूँ
मुझको सोने दे अब तू भी सो जा 'रक़ीब'
ख़्वाब में तू मुझे , मैं तुझे देख लूँ 
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