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रात में देर से
टावरों, मेहराबों के नीचे
मैं प्राग में ऐसे घूम रहा हूँ, मानो कोई सपना देख रहा हूँ
आकाश किसी कीमियागर की कुप्पी की तरह है —
जहाँ चमकीला सोना
नीली आग में पिघल रहा है,
चार्ल्स स्क्वायर की ढलान पर
बिना किसी थकान के चढ़ जाता हूँ मैं
और पहुँच जाता हूँ वहाँ,
जहाँ कोने में,
क्लिनिक के पास बने बगीचे में,
डॉक्टर फ़ॉउस्ट का घर है ।
मैं उनके दरवाज़े पर दस्तक देता हूँ,
हालाँकि मुझे यह बात मालूम है
कि डॉक्टर अपने घर पर नहीं हैं ।
मुझे मालूम है —
क़रीब दो सौ साल पहले
छत में बने एक छेद के रास्ते
गहरी रात में
शैतान उन्हें खींचकर अपने साथ ले गया था नरक में ।
1935मैं फिर दस्तक दे रहा हूँ उसी घर के दरवाज़े पर । ख़ुदा की क़सम,इस शैतान को मैं हुण्डी लिखकर देने को तैयार हूँ,मेरे खून से सही बना दूँगा हुण्डी पर ।मैं उससे सोना नहीं चाहता, मैं अक़्ल और जवानी भी नहीं चाहता ।अलगाव की वजह से मेरी कनपटी गरमा रही है ।लानत है, भाई, लानत है मुझे चेकअप के लिए इस्ताम्बुल ले चलो !आख़िर खर्च ही कितना आएगा इसमें ? मैं फिर से खटखटाता हूँ, बार-बार खटखटाता हूँ,लेकिन उनका दरवाज़ा वैसा का वैसा बन्द है ।ऐसा क्यों है, मुझे बताओ, दुष्टात्मा ?मैं कुछ ज़्यादा तो नही माँग रहा हूँ ?चीथड़ा-चीथड़ा हो चुकी इस आत्मा की क़ीमत कुछ ज़्यादा तो नहीं माँग रहा ?या फिर अब इसकी एक पैसा भी क़ीमत नहीं रही है ? नीम्बू की तरह पीला चाँदआकाश में धीरे धीरे ऊपर चढ़ रहा है ।मैं डॉक्टर फॉउस्ट के घर के सामने खड़ा हर रात की तरह आज भी उनका बन्द दरवाज़ा खटखटा रहा हूँ । 1957
'''रूसी से अनुवाद : [[अनिल जनविजय]]'''
'''लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए'''
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