भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव मोहन सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शिव मोहन सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अपने पंख समेट रही है,
हिम-शिखरों की शीत।
अधरों पर आकर छलके हैं,
मन के मांगल गीत ॥

'फूलों की घाटी' उतरी है,
कानन- कानन में ।
बाँट रहे ऋतुराज निछावर,
आँगन- आँगन में ।
कंण- कंण में उत्सव रचता है,
कलरव में संगीत ॥

पीले हाथ हुए हैं , मौसम
में ,हरियाली के ।
पात - पात पर मन लहराए,
दिन ख़ुशहाली के ।
माँ के आँचल में निधियाँ सब,
घर-घर में नवनीत ॥

मधुकर मधुरस ढूँढ रहा है
मधुमय कलियों में ।
ख़ुशबू संग मुनादी करती
पुरवा गलियों में ।
नयनों के संवाद बनाते
अपने मन की रीत ॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,194
edits