भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachnaKKRachna
|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
मुझ से
अमरता की
आप बात न करें
मैं उसे तनिक भी झेल नहीं सकता
चूँकि अमरता यह
क्षमा नहीं करती मुझे
मेरी अल्हड़ता, मेरा प्रेम
सुनाई दे रहा है मुझे स्वर
बढ़ रही है वह अनन्त
लुढ़क रही है गेंद की तरह अर्धरात्रि में
पर जो पहुँचेगा इसके निकट
उसके लिए होगी
यह बड़ी विकट
झाग की तरह
उसका विशाल रूप
गूँज रहा है धीमे स्वर में
और प्रसन्न मैं सोच रहा हूँ
सौन्दर्य और तुच्छता के विषय में
(रचनाकाल : 1909)
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
'''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
Осип Мандельштам
«Не говорите мне о вечности...»