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{{KKAnooditRachnaKKRachna
|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
लपट
नष्ट कर रही है
मेरे इस जीवन को
अब मैं
पत्थर के नहीं
काठ के गीत गाऊँगा
काठ के गीत गाऊंगा काठ हल्का हलका होता है
होता है खुरखुरा
हृदय बलूत वृक्ष का
और चप्पू मल्लाह के लिए
उसके एक टुकड़े में ही
होता है धरा
अच्छी तरह
ठोकिए शहतीर
हथौड़ा चलाइए
काठ के स्वर्ग में
ठोंकिए शहतीरजहाँ चीज़ें होती हैंइतनी हलकी
हथौड़ा चलाइए(रचनाकाल : 1915)
काठ के स्वर्ग '''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय''''''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा मेंपढ़िए''' Осип Мандельштам Уничтожает пламен...
Уничтожает пламень
Сухую жизнь мою,–
И ныне я не камень,
А дерево пою.
जहाँ चीज़ें होती हैंОно легко и грубо,Из одного кускаИ сердцевина дуба,И весла рыбака.
इतनी हल्कीВбивайте крепче сваи,Стучите, молотки,О деревянном рае,Где вещи так легки!
(रचनाकाल : 1915)</poem>