भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachnaKKRachna
|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
लपट
नष्ट कर रही है
मेरे इस जीवन को
अब मैं
पत्थर के नहीं
काठ के गीत गाऊँगा
काठ के गीत गाऊंगा काठ हल्का हलका होता है
होता है खुरखुरा
हृदय बलूत वृक्ष का
और चप्पू मल्लाह के लिए
उसके एक टुकड़े में ही
होता है धरा
अच्छी तरह
ठोकिए शहतीर
हथौड़ा चलाइए
काठ के स्वर्ग में
Уничтожает пламень
Сухую жизнь мою,–
И ныне я не камень,
А дерево пою.