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Kavita Kosh से
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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
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रही है मुझे
वसन्त पारदर्शी है
रोंएदार हरे वस्त्र
छत्रिक-माछ-सी फिसल रही हैं
निवा नदी की लहरें
धीरे-धीरे
घेर रही हैं मेरे मन को
नदी के उस तट पर
प्रकाश छलकाती दौड़ रही हैं मोटरें
जैसे उड़ रहे हों
लौह-गुबरैले और पतंगे
आकाश में
स्वर्ण-बकसुए से
झिलमिला रहे हैं सितारे
पर कैसे भी वे
ख़त्म नहीं कर पाएंगेपाएँगे
मरकत से भारी
इस मरकती समुद्री जल को
(रचनाकाल : 1916)
Мне холодно. Прозрачная весна
В зеленый пух Петрополь одевает,
Но, как медуза, невская волна
Мне отвращенье легкое внушает.
По набережной северной реки
Автомобилей мчатся светляки,
Летят стрекозы и жуки стальные,
Мерцают звезд булавки золотые,
Но никакие звезды не убьют
Морской воды тяжелый изумруд.