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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
विकृत हैं चेहरे की रेखाएँ
 
बूढ़ों की-सी है मुस्कान
 
सचमुच में यह नर्म-चिरैया
 
भारी पीड़ा से हलकान
इस कविता पर टिप्पणी करते हुए आन्ना अख़मातवा ने अपने संस्मरणों में लिखा-- "मैं तब मन्देलश्ताम के साथ स्टेशन पर फ़ोन करने गई थी । वे पारदर्शी काँच के पीछे से केबिन में मुझे फ़ोन करते हुए देख रहे थे । जब मैं केबिन से बाहर निकली तो उन्होंने मुझे ये चार पंक्तियाँ सुनाईं ।"
इस (रचनाकाल : 1913) '''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय''''''लीजिए अब यही कविता पर टिप्पणी करते हुए आन्ना अख़मातवा ने अपने संस्मरणों मूल रूसी भाषा में लिखा-- "मैं तब मन्देलश्ताम के साथ स्टेशन पर फ़ोन करने गई थी । वे पारदर्शी काँच के पीछे से केबिन में मुझे फ़ोन करते हुए देख रहे थे । जब मैं केबिन से बाहर निकली तो उन्होंने मुझे ये चार पंक्तियाँ सुनाईं ।"पढ़िए''' Осип Мандельштам Черты лица искажен...»
Черты лица искажен...»
Черты лица искажены
Какой-то старческой улыбкой:
Кто скажет, что гитане гибкой
Все муки ада суждены?
(रचनाकाल : 1915)1913 </poem>
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