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छोटकी गोतिनिया के तनवा के बतियालिखि देई स्वस्तीय श्री चिट्ठी राउर पवलीं,पतिया रोई-रोई नापाँच सोरह रूपइया तऽ रउरे पठवलीं।एतनो से कम नाहीं होवे ले विपतिया, रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया।रजमतिया॥1॥सोस्ती श्री चिट्टी रउरा भेजनी तेमे लिखल,सोरे पचे अस्सी रोपेयाकबरी छेगड़िया हमार बेरमाइल, भेजनी तवन मिललओतना से नाही कटीपांड़े जी क झबरा पिलउआ हेराइल।कोहड़ा पर पाला मरलसि, भारी बा बिपतिया। लागे नाहीं बतिया, रोय-रोय पतिया...लिखावे रजमतिया॥2॥छोटकी लिखि देई जाड़ा बा, बनवां लीहें रजाई, खोंखी आइल मरिगे, समुनरी के झूला फाटलमाई।बड़े जोर बेराम बा, जेठकी निरंजन बाबा के नतिया, रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥3॥ पछुआ पवन चले सिहरे परनवाँ, छन-छन भरि-भरि आवेला नयनवाँ।दिनवों त बीतेला, कटेले नाहींरतिया,बिटिया सेयान भइलरोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥4॥ लिखि देईं बिरही फगुनवों नेराइल, ओकरो लूगा चाहीबउरल अमवाँ,महुअवाँ गदाइल।अबगे धरत बाटे कोंहड़ा सेल्हा में बतियाअदउआ गुहैले भनमतिया, रोय-रोय पतिया ...लिखावे रजमतिया ॥5॥ जै पइसा आइल तै सौ राहे गइल सैंया, किनि नाहीं पवली हम अइया के दवइया।ससुई ननदि रोज कहें सौ-रोज मंगरा मदरसा जालासौ बतिया,एक दिन तुरले रहे मौलवी रोय-रोय पतिया लिखावे रजमतिया॥6॥ कई बेर पूछलें, मलगुजरिया पियादा,कहलीं निबका देब अइहे उतमी के तालादादा।नेइये तरे हउदी सटवलसि रमगतिया,ओकरा भेंटाइल बा करीमना संघतिया। रोय-रोय पतिया...लिखावे रजमतिया ॥7॥पांडे लिखि देईं, भंगरा मदरसा पै जाला, पंडित जी के जोड़ा बैला गइलेसऽ बिकाइ, परसों उठा ले आइल ताला।मेलवा में गइले त पिलवा भुलाइलओके निरगुनवां,चार डंडा मरले मंगरूमिलल बा संघतिया, भाग गइल बेकतिया। रोय-रोय पतिया...लिखावे रजमतिया॥8॥जाड़ा छोटका के महीना बानरखा, रजाई लेम सिआइमझिलका के नाहीं,जाड़ावा से मर गइल दुरपतिया के माईबुधनी सयान होगे,सारी वोके चाही।बड़ा जोर बीमार बा भिखारी काका काठे के नतिया। पतिया...करेजा कइलें बजरे कै छतिया,कबरी बकरिया रातरोय-भर मेंमिआइलरोय पतिया लिखावे रजमतिया॥9॥ खुदै हुसियार हवें ढेर का लिखाईं,छोटका पठरुआ लिखीं कतना में बिकाईकगजा पै केतनी कलमि दउराईं।कुलि-कुलि करिहें, बेसहिहें न सवतिया,दुखवा के परले खिंचत बानी जँतिया। रोय-रोय पतिया...लिखावे रजमतिया॥10॥</poem>[दयानन्द पाण्डेय द्वारा प्रेषित संशोधित वर्जन]