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|संग्रह=अशोक अंजुम की मुक्तछंद कविताएँ / अशोक अंजुम
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<poem>
अपने पंद्रह वर्षीय बेटे की
जेब में देखकर माचिस
माँ के भुनभुनाने पर
बेटा बताता है-
माँ तुम समझती हो
इससे सिगरेट ही सुलगती है
नहीं माँ, नहीं
इससे दिया भी जलाया जाता है!
</poem>
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