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शव ही शव थे वहाँ चारों ओर, जीवन यूँ थम गया था
काँव-काँव करता एक कौआ, भविष्यवक्ता बना हुआगाँव में बने गिरजाघर के ऊँचे से गुम्बद पर बैठा थाजिसे कहा जाता था युद्ध में खेत रहे दस्ते का स्मारकलज्जाहीन वह युद्ध था बहुत भयानक, बेहद मारक
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''